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बाल मेला

मोनू छठी कक्षा का छात्र था। उसके विद्यालय में 14 नवम्बर बाल दिवस के दिन बाल मेला का आयोजन होने वाला था। अध्यापिका ने सब बच्चों को एक हफ्ते पहले ही जानकारी दे दी इस बार छठी एवं सातवीं कक्षा के विद्यार्थी दुकानदार बनेंगे बाकी कक्षाओं के बच्चे ग्राहक। बच्चों को क्या करना है यह निर्णय छात्रों पर ही छोड़ दिया। छात्र योजना बनाने लगे। खिलौने की दुकान, टाॅफी की दुकान, गुब्बारे पर निशाना, रिंग से निशाना लगाना इत्यादि इसी तरह बहुत कुछ। बच्चे उत्साह के साथ सोचने लगे।


मोनू और राजू ने योजना बनाई कि उस दिन हम दोनों चाट-पकौड़ी, पानी की टिक्की की दुकान लगाएंगे बहुत मजा आएगा। दोनों बहुत खुश थे उत्साहित होकर तैयारी में लग गए।

मेले से एक दिन पहले राजू बीमार पड़ गया। मोनू बहुत उदास हो गया कि अब वह अपनी दुकान नहीं लगा पाएगा। मां ने बहुत समझाया, "कोई बात नहीं अगले वर्ष कर लेना, विद्यालय में मेले का आयोजन तो हर वर्ष होता है।"

किन्तु मोनू की उदासी समाप्त नहीं हुई, उसे लगा कि उसकी कक्षा के सब बच्चे कुछ-न-कुछ करेंगे, वह उन्हें देखता ही रह जाएगा।

यही सोचते-सोचते वह सो गया सुबह मम्मी ने प्यार से उठाया, "आज विद्यालय में कार्यक्रम है तुझे जाना नहीं है अभी तक सो रहा है!!"

मोनू: आराम से चला जाऊँगा मुझे कौनसा कुछ करना है?? मेरी तो दुकान ही नहीं है।"

तभी उसका भाई कवि जो आठवीं कक्षा का छात्र था उसके सामने आ गया, "तेरा दोस्त कम भाई हाजिर है, हम भी मेले में शामिल होंगे। तेरे लिए सरप्राइज है! चल जल्दी तैयार हो जा।"

मोनू: "हमारी कोई तैयारी नहीं है भैया, कहाँ है सामान हम किस चीज की दुकान लगाएंगे??"

कवि: "तू तैयार होकर नीचे आ सब तैयार है।"
मोनू खुश होकर अपने भाई से लिपट गया, "सच भैया।" 

मोनू शीघ्र ही तैयार होकर नीचे आ गया, उसने देखा उसका भाई एक पोटली उठाकर टैम्पो में रख रहा है मोनू को देखते ही बोला, "आ जल्दी बैठ।"

मोनू बगल में आकर बैठ गया, "भैया इसमें क्या है बताओ तो सही, हम किस चीज की दुकान लगाएंगे??"

कवि: "तुझे स्कूल जाकर ही पता चलेगा।"

दोनों स्कूल पहुँचे। कवि ने बड़ी सी मेज ली उसे पर्दे से कवर कर दिया, मोनू उसे आश्चर्य से देख रहा था कि भाई क्या कर रहा है??

उसका भाई बोला, "क्या देख रहा है, पर्दे लगाने में मदद कर।"

मोनू भाई की मदद करने लगा। झोले में से कवि ने कठपुतलियाँ निकाली, उन्हें डोरी की सहायता से पर्दे पर नचाने के लिए तैयार करने लगा।

कठपुतलियाँ देखकर मोनू खुश हो गया, कवि से बोला, हम कठपुतलियाँ नचाएंगे, बहुत मजा आएगा। हमारा खेल सबसे हटकर होगा!

कवि ने उसकी तरफ मुस्करा कर देखा, "हाँ मोनू।"

गीत गा-गाकर दोनों भाई कठपुतलियाँ नचाने लगे।
उन्होंने मेले की रौनक बढ़ा दी। शाम तक दोनों भाई बच्चों का मनोरंजन करते रहे हालांकि उन्हें कोई इन्कम नहीं हुई किन्तु बच्चों की तालियाँ और खिल खिलाते हुए चेहरे बहुत आनंदित कर रहे थे। कक्षा अध्यापक बार-बार उनका उत्साहवर्धन करने आ रहे थे, "तुम बहुत अच्छा और अलग हटकर कर रहे हो।"

शाम 5 बजे मेले का समापन हुआ। दोनों हंसते खिलखिलाते घर आए।

मोनू की खुशी का तो पारावार ही नहीं था वह चहक चहक कर मम्मी को अपने द्वारा किए गए कार्यों को बता रहा था।

दूसरे दिन विद्यालय में सर्वोत्कृष्ट दुकान या गतिविधि को प्रथम घोषित कर इनाम दिया जाना था।

प्रथम स्थान के लिए मोनू का नाम पुकारा गया। मोनू को तो अपने कानों पर भरोसा ही न हुआ। वह स्टेज पर पहुँचा और इनाम की ट्राॅफी को प्राप्त किया। साथ ही उसने सभी को अवगत कराया कि उसका दोस्त बीमार हो गया इसलिए उसे मेले में शामिल होने की उम्मीद ही नहीं थी। लेकिन उसके भाई कवि ने उसकी मदद की। इसलिए कृपया उसे भी स्टेज पर बुलाया जाए। उसके भाई को स्टेज पर बुलाया गया तो मोनू ने ट्राॅफी उसके हाथ में दे दी।
दोनों भाइयों ने एक साथ ट्राॅफी प्रदाता के पैर छुए,
पूरा हाॅल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान) 


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3 Comments

Reena yadav

14-Nov-2023 09:11 PM

👍👍

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Gunjan Kamal

14-Nov-2023 04:47 PM

बहुत खूब

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Sarita Shrivastava "Shri"

14-Nov-2023 03:38 PM

👍👍

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